---------------💐💐-------------------------समय की अठखेलियों के बीच,
सब्र के बंधनो को तोड़,
पलों की नज़ाकत को छोड़,
सब कुछ बदल गया!!आस की बुँदे होकर चूर,
हृदय की आहें बनकर नूर।।सागर की लेहरों के बीच,
रेतों पर बनी जज्बातों को तोड़,
सिमटी हुई यादों को छोड़,
सब कुछ बदल गया!!आँखों के खाब होकर चूर,
कहीं खो सा गया है बचपन का नूर।।
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सोच
Historia Cortaजररूरी ये नहीं है की हिंदी कितनी समृद्ध भाषा है , जररूरी ये है की हिंदी हमारी मातृभाषा है!!