पहली किरण

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ईरादों की बातों ना करिऐ
दिवारें चट्टानो की कहिऐ
  हिम्मत की जाते ना दीजिऐ
  खुला आसमा,गृजता शेर कहीऐ

अंगारों की तपिश,तूफानों का वेग देखिये
नयन भरे नीर,कोमल क्या कहिऐ
   शौर्य की गिनती ना दीजिऐ
   नभ में चमकती असंख्य तारें कहिऐ

मिट्टी की रवानियत,नीर की पवीत्र्ता देखिये
एकता का सृजन,शकती का पृतीक कहिऐ
समागम, सर्मपण,संगम,संघृश जीवन देखिये
युद्धाओं का शस्र्त,ऱिषियों का आशिर्वाद कहिऐ
  
हिमाल्य की ऊँचाई से झीलों की गहराई को देखिये
अहसासों का ईमारत,भवनाओं का समंदर कहिऐ
    मुल्यता की बातों ना किजीऐ
  मणिक का ही का,मोर का सूंदर्य कहिऐ

कवियों की कल्पना,गीतों के बोल देखिये

जिसमें विशव,विशव जिससे ,उसे नारी कहिऐ

कामिनीWhere stories live. Discover now