200 5 3
                                    

प्रिये से प्रियतमा क्या कठिन है होना,

परीक्षा कितने, प्रतिक्षा कितनी,

स्मरण है वह दिन, प्रश्न था मेरा?

परीक्षा अगिनित, प्रतिक्षा कुछ वर्ष,

कहा था तुमने मुझे बस इतना,

दिया था उत्तर हँसी-हँसी में,

निमिष, क्षण, पल, दिवस,मास,वर्ष,

बीते जहाँ तो क्या हैं और कुछ वर्ष!

किया प्रतिष्ठित ह्रदय में मैंने,

तुम्हारे अरूप रूप को प्रियतम,

किया प्रज्वलित स्मृति से मैंने,

दीये को मेरे मन के हर क्षण,

लिया अगिनित नाम तुम्हारा,

सुनो ये मेरे ह्रदय के स्पन्दन,

कराया चरणों को स्नान देखो,

नयन भरे हैं कई अश्रु कण।

स्मरण में बीते कई वर्ष अब,

बसे स्मृति में तुम्हारे वह शब्द,

प्रतिक्षा करना तुम बस कुछ वर्ष,

परीक्षा देना परन्तु अगिनित,

प्रिये से प्रियतमा क्या कठिन है होना,

परीक्षा कितने, प्रतिक्षा कितनी,

नहीं समझ यह अभी भी आया,

प्रतिक्षा अगिनित, परीक्षा कुछ बस।।

कुछ कविताऐं, कुछ नज़्म (Kuch Kavitaayein,Kuch Nazm)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें