एक छोटी सी ख्वाहिश , आज फिर अधूरी सी रह गई,
चला था ढूँढने इक सच्चा यार वो तो what's app पे भी ना रही।वही छोटी सी ख्वाहिश, अब फिर से जगी है,
जो लगती थी अलग और खास,उसने आवाज तो दी है।सोचता हूँ , एक बार फिर हाथ बढाऊँ दोस्ती का,
फिर से promise कर लूँ , forever friendship का।यूँ तो ख्वाहिश, हर किसी की हो जाती है पूरी,
तो फिर क्यूँ , हर बार हमारी ही रह जाती अधूरी।पर जिंदगी में, उम्मीदों के दामन को,कैसे छोड़ा जाए,
उम्मीदों को तो जगा के रखा हूँ, शायद कोई सच्चा यार मिल जाए।
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ek chhoti si khwahish
HumorThis one is dedicated to my true & forever friendship. I think true friendship never die