खुदा से न जाने कितना शुक्रिया करें
हर लफ्ज़ छोटा लगता है जब बयाँ तुम्हारा करें
आँसू भी गिर कर न जाने कितने सजदे करें
खुशी से भी न जाने खुशी कितना हँसे
आप हमारी आँखों में न जाने कब बस गए
हमारी हर नज़र पर है तुम्हारी तलब।उन खामोशियों में थी कोई आवाज़
जान कर भी न जाने हम न सुनें
उन रातों में भी कितना देख लिया
अब हर रात में तुम हो हमारेबहकी हुई क्यूँ लगि तुम्हारी आवाज़
हम ने मान लिया हमारे इशक में हुआ ।
आप के जाने के बाद,
जिस जगह के सिंहासन थे वो खाली रह जाऐगी
बीते हुए लमहें घाव बन कर जिसम पे रह जाएंगे
पर फिर भी मरहम हम न उन पर लगाएंगे ।जाने से पहले खुद पे सम्भलना हमें सिखा देना
अपनी मौजूदगी की आदत को मिटा देना
शायद खुद से जिन्दा न रहें
खुद को कहीं मुझ में छोड़ देना
याद आने पर साया हमारा बन जाना
तड़पते दिल को धड़कने अपनी दे जाना।