इक छोटी सी ख्वाहिश,जो कभी थी अधूरी,
अब मुक्कमल होने लगी है।
कुछ यार सच्चे मिले हैं, जिंदगी हसीन लगने लगी है।बहुत गुजारे थे हमने पल,अकेले तनहाईयों में,
बहुत वक्त गँवा दिया हमने,इन चार दिवारों में।पर आज कुछ बदला-बदला सा, लगने लगा है,
वो सामने नहीं हैं तो क्या,ऩजारा बदल रहा है।खुश तो वो भी हैं, पर शायद उतने नहीं,
लबों पे हँसी तो है,पर आँखों में झलकता नहीं।मैं कर दूँ, कुछ ऐसा अब काम, की छाए चेहरे पे मुस्कान,
रहे फिर मस्त मगन हरपल ,हो जाए गमों से वो अनजान ।thank you so much all of my friend😘😘
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ek chhoti si khwahish
HumorThis one is dedicated to my true & forever friendship. I think true friendship never die