Vindhyachal Dham जाने का विचार अचानक ही बना था चलिये शुरू करते है का यात्रा वृतांत , मै अपने गृह जनपद हरदोई में अपने मित्र लैपटॉप के साथ बैठा हुआ था वही कोई शाम के 7 बज रहे थे मई का महिना था मेरे एक जानने वाले है पेशे से वो टीचर है और लखनऊ के रहने वाले है तो उनका फ़ोन आया की कल बनारस चलोगे मै तो घूमने के लिये हमेशा तैयार ही रहता हु तो मैंने हां बोल दी तो उन्होंने बताया की कल शाम 6 बजे से चलना है मैंने कहा ठीक मै पहुच जाऊंगा अगले दिन मैंने बैग पैक किया और त्रिवेणी एक्सप्रेस से लखनऊ पहुच गया मै शाम को 4:20 बजे चारबाग रेलवे स्टेशन लखनऊ में था |
मै सोच रहा था यार हां तो कर दी पर कोई रेसेर्वेशन तो है नहीं जनरल डिब्बे में इत्ती दूर का सफ़र कैसे करेंगे फिर विकास सर जो मेरे साथ जाने वाले थे उनको फ़ोन किया और उन्हें यह समस्या बताई वो बोले हर हम वरुणा एक्सप्रेस से चलेंगे इसमें बहुत सारे जनरल वाले डिब्बे होते है और चार टिकट ले लो एक बच्चे का ले लेना मैंने कहा अरे चार कौन तो बोले की उनकी धर्मपत्नी और धर्मपत्नी जी की एक दोस्त और उनके दो बच्चे भी है|
मैंने कहा ओके मैंने टिकट ले लिया और इन लोगो का इंतज़ार करता रहा खैर ट्रेन और विकास सर लोग एक साथ ही आये मैंने देखा सच में ट्रेन में जगह थी हम लोगो को आराम से सीट मिल गई बातचीत होने लगी अच्छा विकास सर को तो मै जानता था परन्तु उनकी धर्मपत्नी और उनकी दोस्त और बच्चो से पहली बार मिला था लेकिन सब लोगो में बड़ा अपनापन था |
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ट्रेन चल दी थी हम लोग कभी सो जाते कभी बाते करते खैर रात के 1 बजे हम सब महादेव की नगरी बनारस में थे और एकदम से प्लान चेंज हो गया और Vindhyachal Dham जाने की बात होने लगी विकास सर मुझसे बोले की चलो यार माँ विंध्यवासिनी के दर्शन करके आते है फिर लौटकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर लेंगे मैंने कहा ठीक , मोबाइल में विन्ध्याचल की ट्रेन देखी तो रात 3 बजे एक ट्रेन आने वाली थी |
हम लोग स्टेशन पर ही बैठ गए और खाना पीना किया लेकिन ये ट्रेन सुबह 6 बजे आई और इसने विन्ध्याचल पहुचाने में रुला दिया सुबह 10 बजे हम लोग पर थे बाहर आये एक ऑटो वाला मिल गया उससे कहा माँ विंध्यवासिनी चलोगे तो बोला बिलकुल चलेंगे हम सब बैठ गये और पहुच गये माता के दरबार तब तक महिला मंडल ने बताया पहले गंगा स्नान कर लो फिर देवी माँ के दर्शन करना |
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Vindhyachal Dham ki Meri Yatra
SpiritualVindhyachal Dham जाने का विचार अचानक ही बना था चलिये शुरू करते है विन्ध्याचल धाम का यात्रा वृतांत , मै अपने गृह जनपद हरदोई में अपने मित्र लैपटॉप के साथ बैठा हुआ था वही कोई शाम के 7 बज रहे थे मई का महिना था मेरे एक जानने वाले है पेशे से वो टीचर है और...