इंजीनियर बेटा

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अभी दो ही महीने पहले की बात है, घर में कितना उल्लास का माहौल लग रहा था। सिन्हा जी का इकलौता बेटा कितनी बड़ी खुशखबरी लेकर आया था। जब सिन्हा जी के बेटे का जन्म हुआ तो बहुत सोचने विचारने के बाद उन्होंने अपने बेटे का नाम रखा कुशाग्र सिन्हा। कुशाग्र एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है तेज। कुशा एक प्रकार की घास होती है जिसका सिरा इतना तेज होता है कि आपकी अंगुली काट दे और उसमें से बलबला कर खून बहने लगे। आधुनिक दौर के लोग कुशा के सिरे यानि कुशाग्र के नकारात्मक गुण को भुलाते हुए अपने बच्चे का नामकरण में इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसा वे इस उम्मीद से करते हैं कि उनका बेटा मेधावी हो या कुशाग्र बुद्धि हो ताकि भविष्य में वह किसी नामी गिरामी कॉलेज से इंजीनियरिंग या मेडिकल की पढ़ाई करके अपने और अपने पुरखों तक का जीवन सुधार सके।

समय आने पर सिन्हा जी की मुराद भी पूरी हुई और उनके बेटे का एडमिशन किसी ठीक ठाक इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया। समय बीतने में देर नहीं हुई और कुशाग्र के बीटेक कोर्स का आखिरी साल भी आ गया। जैसा की अक्सर होता है, अभी फाइनल इम्तहान की तारीख भी नहीं आई थी कि कुशाग्र का किसी प्राइवेट कम्पनी में प्लेसमेंट भी हो गया। सिन्हा जी अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से बता रहे थे कि कोई दस लाख का पैकेज मिला है। फिर उन्होंने बकायदा सत्यनारायाण भगवान की पूजा भी करवाई थी और अपने ईष्ट जनों को उसका निमंत्रण भी दिया था। किसी ने भी यह नहीं पूछा कि कुशाग्र का ओहदा क्या होगा, नई नौकरी में उसे क्या करना पड़ेगा, और उसकी कम्पनी किस चीज का व्यवसाय करती है। हर आदमी केवल एक ही सवाल पूछता था कि पैकेज कितना मिला है। सिन्हा जी को रिटायर होने में बस दो ही वर्ष बचे हैं इसलिए यह योजना भी बन गई थी कि जहाँ भी उनके बेटे की पोस्टिंग होगी वे दोनों मियाँ बीबी वहीं चले जायेंगे।

कई बार भगवान को शायद लगने लगता है कि आपको अधिक खुशियाँ मिलने से बदहजमी हो जायेगी तो भगवान उन खुशियों में कटौती भी करने लगता है। फरवरी का महीना बीतते-बीतते पूरे देश या कहना चाहिए कि पूरे विश्व को एक नये संकट ने घेर लिया जिसका नाम है कोरोना। हर हिंदुस्तानी की तरह सिन्हा जी को भी यकीन था कि भारत के लोगों का शरीर मिलावटी भोजन, प्रदूषण, बजबजाती नालियों, संड़ी हुई सब्जियों, ब्लीचिंग पाउडर मिले हुए दूध, आदि का इतना आदी हो चुका है कि किसी भी हिंदुस्तानी को देखते ही कोरोना भाग जायेगा। लेकिन जिस महामारी के आगे अमेरिका और इंगलैंड जैसे विकसित देश घुटने टेक चुके हों उसके आगे हिंदुस्तान की खस्ताहाल व्यवस्था की क्या हैसियत। तय समय पर कोरोना का आक्रमण हमारे देश में भी हुआ और फिर हमारे देश के प्रधानमंत्री ने भी लॉकडाउन यानि तालाबंदी की घोषणा कर दी। वो तो अच्छा हुआ कि कुशाग्र को एक सप्ताह पहले ही होस्टल खाली करने की नोटिस मिल गई थी इसलिए वह पहले ही अपने घर पहुँच गया था।

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⏰ पिछला अद्यतन: Apr 26, 2020 ⏰

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