घर आंगन में किलकारी गूंजी थी
शोभा बढ़ गई हजार
चारों तरफ खुशियों का माहौल था
हर तरफ से मिल रही थी मुबारकबादमां बाबा की आंखें भरी भरी थी
सजे हुए थे उसमें कई सपने
नाम करें बिटिया आपका
यही दुआ दे रहे थे अपनेहर तरफ खुशियां थी
पकवानों की खुशबू आ रही थी कोने-कोने से
हर काम छोड़ दौड़ पड़ी मा
प्रवल्लिका के एक बार रोने सेजन्म लिए कुछ महीने ही हुए थे
बाबा की आंखों में थी आस
यही बात चल रही थी जहन में
जल्दी से दिलवा दूं स्कूल का पोशाकदिन यूं ही प्यार भरा गुजरा
महीने से हो गए 6 साल
सबके मन को मोह लेती वह लुभावनी सूरत
और प्रवल्लिका के काले घुंघराले बाल।
©ishq_e_suroor
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बलात्कार 💔💔
Poetryबलात्कार शब्द सुनते ही सभी के चेहरे का नक्शा बदल जाता है। क्यों? यही बदलाव हुआ भाव बलात्कार करते वक्त उस बलात्कारी के चेहरे पर क्यों नहीं आती है? क्या उनके खुद के घर में उनकी बहन, मां और बीवी नहीं है? हैरानी की बात तो यह है कि जो लोग दूसरों की बीवी...