इनायत है तेरी, जीने दिया मारने के बाद,
जीने की कसम दे दी, ये दिल तोड़ने के बाद,तनहाई ना थी इतनी बेदर्द, शब ना थी ये सर्द,
तनहा हुई मैं और, तुझसे मिलने के बाद,चेहरे पे मेरे ढूंढ़ते ही दर्द के निशान,
आई है हंसी लब पे, अश्क सूखने के बाद,रहता नहीं है कुछ भी हमेशा यूं बरकरार,
बागों में गुल भी सूखते हैं, खिलने के बाद,मुमकिन नहीं है फिर कहीं ये दिल का लगाना,
जुड़ता नहीं दिल ये कभी, टूटने के बाद।
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कुछ कविताऐं, कुछ नज़्म (Kuch Kavitaayein,Kuch Nazm)
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