हर बात पर दिल्लगी,
हर बात पर हंसाया करता है,
अपने आंसू अक्सर पास - ए- पर्दा बहाया करता है;
कमाल का हुनर रखता है वो शख़्स,
गमों को अपने,
ग़ज़ल बना सुनाया करता है।।#Navi #dochehrey
जब ढलता है दिन, शाम के आगोश में,
बेहद याद आते हो तुम,
एक ही प्याली से वो चाय की चुस्कियां,
तुम्हारी उनींदी आखें,
और शाम के सूरज सी,उन में डूबती मैं।।।तेरी तीर - ए - नज़र का घायल हूं,
हर अदा का तेरे कायल हूं,
हर लहज़ा तेरा मद - मस्त - नशीला,
तू मधुशाला, या बस मैं पागल हूं॥तुम गरल अति, विष दंत यदि,
मैं आकंद फूल का हार प्रिए,
तुम यदि मंद्र, मैं चलूं मध्य,
हम दोनों से संसार प्रिए।Khmosh shaam surkh aasmaan mein jalti hai... kaajraari aakhein Teri aankhon mein kho kar jaise manzil mujhey milti hai... Tera husn hai, ya Tera jadoo hai mujh par... tujh ko chu kar mere badan pe jaise oss pighalti hai
आने जाने पे सवाल कैसा, जो भरोसा हो दोस्ती पे, मलाल कैसा, पास हो या दूर हो, रहेंगे दुवाओं में तेरे, बंधन दिलों का हो तो, दूरियों का खयाल कैसा।
पागल करार दिए गए वो, जो दुनिया से अलग थे, यह ताने कसे जाते हैं जो तुम पे वो सबक थे, समझा किए पागल, वो हमें, तो हमें क्या? उनको है सब मंजूर, लिए जिनके इश्क मजहब थे।
भाई साब! यह इश्क ओ शायरी है काम कावरों का, शादी के बाद मदहोश नही, बस होश ठिकाने आते हैं।
नादान! तू ऐसे परेशान ना हो, जीवन है यह, तू इस से हैरान ना हो, इश्क किया है जो तू ने, तो हिम्मत भी रख, जुदाई नही, तो प्यार भी जवान ना हो।
चाहो ना मुझे तुम ऐसे जैसे भवरा फूल को, चाहत में मैं मोम हूं, तू परवाना बन के देख। दुनिया के रिवाजों में रखा है क्या भला, जज़्बात में मैं कुर्बान, तू इंकलाब कर के देख।।
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कुछ कविताऐं, कुछ नज़्म (Kuch Kavitaayein,Kuch Nazm)
Poesiaमेरी कुछ रचनाएँ आप सब के लिए। उम्मीद करती हूँ आपको पसंद आएँगी। मुझे comments ज़रूर भेजें, ताकि मुझे पता चलता रहे कि आप को मेरी रचनाएँ कैसी लग रहीं हैं। :)