नारी -दो शब्दों में

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बेटे की लालच में तुम मुझे रोशनी देने से पहले अंधकार दे देते हो,

मेरा क्या कसूर है।


मिट्टी से खेलने वाले हाथों में तुम मेंहदी लगा देते हो,

मेरा क्या कसूर है।


मेरे सपनों के पंखों को तोड़कर तुम जिम्मेदारियों का बोझ दे देते हो,

मेरा क्या कसूर है।


मेरी इज्जत को तिनको की तरह तुम अपनी दरिंदगी की हवा में उड़ा देते हो,

मेरा क्या कसूर है।


बार- बार हमारे आत्म- सम्मान को कुचलकर इसे सेहने के लिए मजबूर कर देते हो,

मेरा क्या कसूर है ?

Nari - do shabado meWhere stories live. Discover now