ज़िंदगी का आख़री सफ़र...
लॉकडाउन को लगभग 40 दिन पूरे हो चुके थे, सभी अपने-अपने घरों में बंद थे. अमीरों के लिए तो ये लॉकडाउन छुट्टियां, अपने परिवार के साथ समय बिताने, खाने-पीने और मोज मस्ती का बहाना था. मिडिल क्लास के लिए थोड़ा मुश्किल समय था, क्योंकि ऑफिस का काम कम हो चला था, सर पर सैलरी कट या फिर जॉब चले जाने का ख़तरा मंडरा रहा था. पर सबसे ब...