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20 stories
गोडवा by ShabdShrungar
ShabdShrungar
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सहकूदूंब असूनही ती एकटी होती .. त्यात तीला विचित्र मानसिक रोग झाला अन त्यातून तिच्या जीवनाची फरपट ओढवली
आंबट गोड  (१८+)  by manasddl
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    Parts 8
कैलास आपल्या काकाकडे गावी काही दिवस सुट्टी घालवायला आला आहे. घरात त्याचे काका, काकी , त्यांचा मुलगा आणि आजोबा अशी माणसं असतात. त्यांचा मोकळेपणा कैलासला कसा आंबटगोड अनुभव देऊन जातो त्याची ही चावट(१८+) अशी कथा. कमेंट करायला विसरू नका!
ल��ंडन ड्रीम  by ShabdShrungar
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जेनिफर च्या प्रेमात वेड्या प्रेमची कहानी
काळिमा by Vaibhav65
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हि कथा एका वस्तीतील लोकांची आहे, तुम्हाला आपापसातील दुष्मणीत लुटल्या गेलेल्या स्त्रियांच्या कौमाऱ्याची कथा भेटेल.
 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+) by AnzuhRuhnem
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" नामर्द कही का!" " क्या कहा तुमने, नामर्द? देखनी है मेरी... मर्दानगी????? बोल दिखाऊं ????? चल खोल कपड़े !!!! उस नकाबपोश ने किडनैप की हुई लड़की के एक एक कपड़े को खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया.... और फिर............. एक पिता के जिगर का टुकड़ा उसकी बेटी जब किडनैप हो जाती है तो उस बाप पर क्या बीतती है एक ऐसी अनहोनी होती है कि बेटी के आगे बाप का अतीत खड़ा हो जाता है ऐसे में एक बाप और बेटी के रिश्ते की जद्दोजहद की खौफनाक कहानी... ... जो नफ़रत की बिसात पर शुरू हुई और मौत के भयानक मंजर पर खत्म हुई...!!
अंत by AnzuhRuhnem
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"नमन;-" वैसे तेरी बहन थी बहुत मजेदार... बहुत मज़ा करवाया उसने मुझे..साली खुद ही कपड़े उतार देती थी.. अपना एक एक अंग दिखा दिखा कर कपड़े उतारती थी कि एक नशा सा हो जाता था मुझे..साली रोज़ चूस चूस कर मांगती थी.."" राज़;-" साले हरामजादे!!! हाथ खोल मेरे हाथ खोल..!! तब बताता हूं तुझको कि किसी की बहन के बारे में गंद बोल कर क्या मिलता है तुझे काट कर तेरे टुकड़े कुत्तों को खिला दूंगा समझा...!!!"" "जब सब तरफ आंतक हो ,बुराई हो ,जुल्म हो ,दुख हो , क्या तब भी वहा प्यार जन्म ले सकता है और एक दुसरे की ताकत बन कर बुराई का अन्त कर सकता है जानने के लिये जरूर पढे एक प्यार और बदले की कहानी ! This is a work of fiction. All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, distributed, or transmitted in any form or by any means, including photocopying, recording, or other electronic or mechanical methods, without the prior written permission of the author, except in the case of brief quotations embodied in critical reviews and certain other noncommercial uses permitted by copyright law.
औरत(Women) 18+ by AnzuhRuhnem
AnzuhRuhnem
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    Parts 19
"" टांगे पूरी खोल !! हाथ पीछे कर ! फिर वो धुंधला साया नीचे लेटी औरत के मुंह पर तमाचो की बौछार कर देता है ! जब वो धुंधला साया उस औरत को बेरहमी से मारता था तो अवनी की नींद सहम कर खुल जाती थी "" " क्या हर रिश्ता एक औरत के लिए हिफाज़त से भरा होता है ?? हर रिश्ते में एक औरत "अपनापन" ढूंढती है ! क्या उसे सच में हर रिश्ते में अपनापन मिलता है ?? क्यों हर नज़र एक औरत के जिस्म को भूखे भेड़िए की तरह देखती है ?? औरत होना क्या आज के युग में पाप है ? अपने मन की पीड़ा औरत किससे कहे ?? हर रिश्ते की तरफ वो उम्मीद की नजरों से देखती है कि कोई तो हो जो उससे उसका दर्द पूछे ? क्या पूरी जिन्दगी सहते रहना ही एक "औरत" का धर्म है ?? इन सब सवालों में जूझती एक "लड़की " की आप बीती .. जिसको इस बेरहम समाज ने कब "औरत" बना दिया कि उसे भी नही पता लगा !