Marigoldwritess
विरहमृत
(तेरे बिना भी तुझमें ही साँस लेना)
तेरे बिना दिन तो निकलता है,
पर जैसे रूह अधूरी सी रहती है।
मैं मुस्कुराती हूँ, पर तेरी झलक में ही,
हर खुशी, तुझमें ही कही छुपी रहती है।
म ेरा प्यार कोई मजबूरी नहीं,
ये तो इबादत बन चुका है।
तू पास ना सही,
पर हर पल तू मेरी धड़कनों में बस चुका है।
विरह का ये अमृत, मीठा भी है,
क्योंकि तू ही तो है
जिससे दूर रहकर भी
मैं सबसे ज्यादा जुड़ी रहती हूँ।♡