2019
1 story
M@n6i by Writer_Mangi
Writer_Mangi
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प्रायः कही बार हमे हमारी ख़ामोशी ही खलने लगती है ! यह खामोशी बेजुबां और जान-पहचान बिगर वाली होती है पर जब हम तन्हा अकेले बैठे होते है तब यह ख़ामोशी दिल पर गहरी चोट करने को उतारू होकर कितने सवालों का जरिया बनकर उभरने को मजबूर होती है ! तन्हा अकेले बैठे वक्त हम अपने बिताये पलों में या तो सुकूँ के पल ढूंढ रहे होते है या किसी अंजान के सफर का साथ बन रहे होते है ! उस वक्त ही बेजुबां ख़ामोशी अपना स्वरूप लेकर साथ हो लेती है और फिर मन उदासीन की ओर तल्लीन होने लग जाता है ! ऐसे हाल में हम न तो अपने मन का हाल किसी से ब्या कर पाते है न ही मन को हल्का कर पाते है ! ऐसे में हमारे पास सिर्फ तीन ही रास्ते होते है ! पहला रास्ता, " किसी अकेले दूर कोने में जाकर दीवार के सहारे रोकर मन को हल्का कर देना ! दूसरा रास्ता, " उस ख़ामोशी को मन मे ही दबाकर चलते रहना ! तीसरा रास्ता, " क़लम द्वारा उस बेजुबां खामोशी को अल