हिंदी कविताएँ
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अक़्स  by Jheel-poet
Jheel-poet
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winner of "Popular Choice Awards India 2019". in ** ( Poetry: Hindi )** "अक़्स" "REFLECTION" चला जाता हूँ जहाँ जहाँ तेरा अक़्स दिखाई देता है, छुपा लूँ जमाने से मैं कितना भी जख़्म दिखाई देता है! हम अपने दोस्तों को मिलनें चलें जाये क्यूँ बताओं तो, चुप ही होते हैं पर होठोंपे उनकी बज़्म दिखाई देता है! आईना है जैसा बना दिया है हमनें अपना घर लेकिन, जब भी देखूँ यह सूरत आँखों में अश्क़ दिखाई देता है! रात ख़ामोश बेज़ुबान हैं और सितारें चिराग़ो से रोश़न, ख़ुशबूसे महकता है बिस्तर सामने हश्र दिखाई देता है! यह जिंदगी ए मोहब्बत तो ख़ुदा की अमानत है मगर, यह जमाना इश्क़ वालोंसे बहोत सख़्त दिखाई देता है!
क्योंकि हिन्दी में कुछ बात है... by cchinu
cchinu
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मेरी और मेरे दोस्तों ने लिखी हुई कुछ हिन्दी पंक्तियाँ