इंस्पेक्टर ने कार के शीशे बंद करते हुए एक बार फिर कुम्हार के झोपड़े की ओर देखा। झोपड़े की दहलीज़ पर खड़े कुम्हार और उसकी पत्नी की नजरें कार के पीछे वाले काँच को भेदती हुई उस बालक पर गड़ी हुई थीं। सेठ की पत्नी की गोद में खेल रहे उस चार साल के बिल्लोरी आँखें वाले नन्हे बच्चे पर ही कुम्हार और उसकी पत्नी की नजरें जमी हुई थीं। पश्चि म दिशा में डूबते सूरज की किरणों के कारण कुम्हार की पत्नी के कपोलों पर आँसुओं की लड़ियाँ चमक रही थीं।All Rights Reserved