"पर्दा" लहराता हुआ सब छुपाता हुआ कमरों को सजाता हुआ मैं आज भी वही हूं ठोकर से लहरा जाता हूं हटाने से हट जाता हूं बिना पूछे आंधियों का संकेत करते हुए मैं आज भी वही हूं घरों के सैकड़ों राज दफन किए हां मैं आज भी वही हूं वफादारी का पर्चा लिए हसीन पलों को समाए हुए मैं आज भी वही हूं पुराना हूं गंदा हूं सबके लिए मैं अंधा हूं पर मैं आज भी वही हूं तारों से लटका हुआ राज़ सब दफ़नाए मैं आज भी वही हूं उजाला देने को हट जाता हूं परे मुझे गिराकर कर लेते हो अंधेरा तुमसे डर के बच्चे छुप जाते हैं मुझ में सवाल कहीं गुम जाते हैं मुझ में हां मैं आज भी वही हूं रंग चाहे कोई हो मेरा ढंग चाहे कोई हो मेरा पड़ोसियों की आंखों से बचा लेता हूं तुम्हें मैं हूं वहीं तुम्हारी यादें लिए बूढ़ा हो चला हूं पर ना बदलना मुझे पुराना हूं पर आज भी वही हूं मैं _______प्रियंका व्यास(पर्दा हूं मैं)All Rights Reserved
1 part