TRUST
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Ongoing, First published Aug 10, 2018
Ajnabi duniya  me trust ki bate
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तसव्वुर (Urdu Poetry) by _aria__writes
38 parts Ongoing
किस गुल से हुस्न टपकता है किस खुश्ब की रवानी रहती है तेरे नर्म होंठो की अरक हर गुलशन की कहानी कहती है ........ (जब सहबा ए कुहन....) और जबसे सुना है उनके खयालात हमारी कब्र को लेकर जनाब! हमें तो अब मरने से भी मोहब्बत हो गई ...... (मोहब्बत हो गई...) इस्तिहारा करूं, इस्तिखारा करूं तू फिर मिले तो मैं इश्क दोबारा करूं ...... (तू फिर मिले...) फिर अंधेरों में नए शफ़क की तलाश है फिर नया दिन नए सफर की तलाश है ...... (तलाश है....) . इश्क़ मेरा हिकायत-ए-मग़्मूम तो नहीं? मेरी जां हमारा इश्क़ कोई जुल्म तो नहीं? ....... (इश्क़ मेरा....) "अगर तुम हमसे आश्ना हो, तो फिर ठीक है 'गर नहीं तो फिर कुछ नहीं हमारा तो तआ'रुफ़ ही तुमसे है अगर तुम नहीं तो फिर कुछ नहीं" ..........( तो फिर कुछ नहीं....) . . . . . . For more interesting poetries you can continue reading this book till the end. Yeah I know some of poetries from this book is not that good but don't worry move forward because I'm damn sure you'll surely the next one because sometimes my mind doesn't know how to put actual words and that's how I end up with anything similar and sometimes it doesn't get along. For that please
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20 parts Complete

दोस्तों, पिछले लगभग 30 सालों से मैंने अपने जज़्बात और ज़िन्दगी के तज़ुर्बे को ग़ज़लों , गीतों और क़तआत ( मुक्तक ) के रूप में ढालने की कोशिश की है । उन्हीं में से कुछ शाहकार आज आप एहबाब की नज़्र करते हुए मुझे इन्तिहाई ख़ुशी का एहसास हो रहा है । उम्मीद है अपनी बेशक़ीमती दुआओं से नवाज़ते हुए मेरी ख़ामियों की सिम्त इशारा भी ज़रूर करेंगे । " मेरी क़लम से " मेरे दिल के बेहद नज़दीक कुछ ग़ज़लों का संग्रह है......इसे आपके दिलों के नज़दीक पहुँचाने में क़ामयाब हो पाया तो मैं समझूँगा मेरी कोशिश क़ामयाब हुई । आपका अपना राकेश ' नादान '