अजी ओ "सुगना का बापू" आज तो मैं म्हारी सहेली "धापुड़ी" से सुणकर आयी हूं " वीणा" का नया गीत "होलियां में उडै रे गुलाल" को बोल-बालों चारों मेर होरयो है। गीत अस्यो जोरदार गायो है " प्रतिभा सिंह" और सतीश देहरा" की गीत का बोल तो सुणतां ही असी तान आव कि मन नाचतों ही कोनी रुके । Click Here -> https://www.youtube.com/watch?v=Lty26Sf0OXQ आ तो घणी जोर की बात बताई है म्हारी "मरवण" पर एक बात बता अगर मन नाचतों ही कोनी रुक रयो हो तो तू फेर नाची क्यूँ कोनी। बो इयां है ''सुगना रा बापु'' नाच तो मं आती पर इ नया गीत मैं थारे बिना नाचबा को कोई मजो ही कोनी हो,गीत बणयो ही मोट्यार लुगायां क जोड़ा स नाचबान है और थारे बिना म्हारी जोड़ी अधुरी है अब गीत प ठुमका तो थाके सागे ही लगाउँली। Click Here -> https://www.youtube.com/watch?v=Lty26Sf0OXQ अजी थे लोग भी सुणलिज्यो महीनों फागण रो है, रंग कान्हा री प्रीत रो है, और इके सागे "वीणा" रो नयो गीत आर यो ह गीत सुणतां ही आप लोगां न मजो ही आजा