सब ने आवाज़ उठाई , पर हम , बर्दाश्त कर गए , चैन से जीने की , दरख्वास्त कर गए । दिन में डरते रहे , मेहफूज़ अपनी रात कर गए , स ब ने आवाज उठाई , पर हम , बर्दाश्त कर गए । चुप रहकर भी , बयाँ अपनी , हर बात कर गए , ध्यान बना के सब का , नई वारदात कर गए । बस इसी बात पे किस्सा अपना , समाप्त कर गए , सब ने आवाज़ उठाई , और हम , बर्दास्त कर गए ।Creative Commons (CC) Attribution