जब भी तू याद आती है, ना जाने पलकें भर आती हैं,
क्यों इस दिल को रुलाती है,
क्यों बेचैनी बढ़ाती हैं....।।।
ना जाने तुमसे खफा हूं या तुमपे फ़ना..
कभी सोचा ना था ऐसे चाहत होगी तुमसे
कभी जाना न था ऐसे मुलाकात होगी तुमसे ।
तुम्हें पाने की खुशी, तुम्हे देखने की चाहत अधूरी रह गयी ।
उन राहों पर मायूसी आज भी छायी हुई है,
जो कभी हमारे मिलन पर ख़ुश हुआ करता था ।
रास्तों के मोड़ भी वही है,
और मैं भी वही हूं जो उस वक़्त हुआ करता था
बस उन रास्तों क़े फसलें अलग़ हों गये,
और हमारे जीने का पहलू अलग़ हों गये।।
बस वही लम्हें याद आते है
जब भी तू आती थी कन्धों पर सो जाती थी
फिर मैं दिल पर हाथ रखता हूँ
क्योंकि मुझे पता कहीं नही पर
यहाँ जरूर मिलेगी
यहाँ जरूर मिलेगी.....।।।