24 parts Ongoing " तलाक़... तलाक़... तलाक़ " यह तीन शब्द जो किसी महिला का जीवन बदल दे वह अभी भी सिमरन के कानो में गूँज रहे थे।
क्या इतना आसान होता है शादी के इस अटूट बंधन को तोड़ देना? फिर क्यों कहते है लोग की जोड़िया रब बनाता है या शादी सात जन्मों का खेल है, प्रेम धर्म या जाती नहीं देखता, प्रेम रंग रूप नहीं देखता, प्रेम दौलत नहीं देखता?
डरी सहमी सिमरन सरफ़राज़ के कमरे में बिस्तर पर बैठी सरफ़राज़ का इंतज़ार कर रही थी. सरफ़राज़ क्यों? यहां तो उसकी जगह नहीं थी। उसके ख्वाबों का राजकुमार तो कोई और ही था। सिमरन का मन अभी धीरे धीरे अतीत की यादो में डूबा जा रहा था....
एक साल पहले:
सिमरन ने अभी अभी कॉलेज में एडमिशन लिया था। सिमरन का रंग रूप साधारण से थोड़ा बेहतर था। अब तक वो गर्ल्स स्कूल में ही पढ़ी थी, पहली बार को-एजुकेशन में पढाई करने का मौका मिला। सिमरन की ज्यादातर दोस्त जो उसकी स्कूल की ही थी, ने यहाँ एडमिशन लिया था