तिष्ठित, जाग्रत, प्राप्य, वराणिबोधत्। उठो जागो और बोध प्राप्त करो। इन शब्दों में मानव के लिए संदेश है कि हे मानव! इस आत्मा को जगाकर इसपर विचार करो कि तुम्हें यह मनुष्य जन्म जो मिला है, यह परमात्मा की प्राप्ति करके चैरासी लाख योनियों से मुक्त होने का अवसर है। ग्रंथों के अनुसार बढ़े भाग्य से मनुष्य जन्म मिलता है। इसमें केवल दुनियावी कामों में जीवन बिता दिया तो ये बाजी हारकर चले जाओगे। जीवन का मूल उद्देश्य प्रभु की जानकारी करके इसका बोध हासिल करके आवागमन के चक्कर से मुक्त होना है। रामचरित मानस में लिखा हैः-All Rights Reserved