''भटकती आत्माएँ-अब मुक्ति कहाँ''
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Complete, First published Aug 27, 2019
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यकीनन इतनी डरावनी कहानी आपने आजतक कहीं नहीं पढ़ी होगी।ये कहानी एक मानव तस्कर की है जो बच्चों व बडो के अंग निकालकर बेचता है।यहाँ कुछ भूतहा घटित घटनाओं की वास्तविकता तथा कल्पना के साथ अभिव्यक्ति की गई है।निर्दोष तथा असहाय लोगों को किसी निर्मम व्यक्ति द्वारा तडपा-तडपाकर मार दिया जाता है तो उनकी आत्मा जब तक भटकती रहती है तब तक वह उस व्यक्ति से अपनी मौत का बदला नहीं ले लेती है।इस किताब में भी एक ऐसी घटना का वर्णन किया गया है जिसमें कुछ गरीब,  बेसाहारा तथा बच्चों व बच्चियों की आत्माएँ अपनी मौत का बदला अपने हत्यारे से लेतीं हैं।

नोट-इस किताब के सारे अधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं।इसकी किसी भी माध्यम से काफी करना काॅपीराईट एक्ट के अधीन दण्डनीय अपराध होगा।लेखक इस पुस्तक के काॅपीराइट© अधिकार रखता है।

जय महर्षि कश्यप
जय एकलव्य भील
जय निषादराज
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