यह कहानियों का संग्रह काल्पनिक जरूर है, पर इस मार्ग पर मेरे साथ चलते हुए आप सोंच में पर जाएंगे की क्या सही में इसमें वास्तविकता नहीं है ? अनादिकाल से नारी - माँ, पत्नी, बेटी, बहु, बहन जैसे किरदार में जानी गयी है। पर नारी का एक अदृश्य शक्ति भरा रूप भी है जो हमारे समक्ष उभर कर तभी आता है ज ब कोई त्रास उसके नारीत्व को अंदर से झंझोर देता है। यह त्रास चाहे जैसा भी रूप लेकर आये - चाहे कोई संताप हो या कोई दुर्भाग्य, कोई अत्याचार हो या कोई अभिशाप, भले हक़ की लड़ाई हो या पाना हो सम्मान; एक बात तो तय है की नारी एक ऊर्जा है, तपस है, उष्णता है, एक तपता सोना है - इस से जो भी लड़ा है वह भस्म हुआ है। नारी उस सशख्त हथौड़े की तरह है जो जहाँ भी पड़ता है वहीँ अपनी छाप छोड़ देता है !
"Baaz rehte hain jo mohobbat se
aise ahmaq zaheen hote hain"
~Siddharth Ashok Shukla
.
.
.
"waapsi tumpar farz thodi hai
ye mohobbat hai , qarz thodee hai"
~ Shehnaaz gill