दुनिया नफरतों की जहां है, जो जीता उसकी वाह वाह है, कौन सही कौन ग़लत, इसकी किसको परवाह है, जो दिखे सही, वहीं सीधा सच्चा है। ग़ालिब नहीं होते हमेशा शानदार, होता है उनमें भी छुपा एक गहरा राज़, मज़लूम को भी मोहब्बत से देखो तुम एक बार, हो सकता है , वो है रंजो साज़िश का शिकार। आईना हमेशा सही बोलता, तो न होता यहां फिरना फसाद, झूठ मीठा ही सही, पर देता है ग़म हज़ार, झूठ की बुनियाद पर अगर तुम हो खड़े, देखा है मैंने ग़ालिब को फिर बेज़ार पड़े।All Rights Reserved
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