
सारा दिन यूँही बीत गया लाँक डाउन के चक्कर में काम में ही दिन बीत जाता है आज पापा की बहुत याद आ रही है लगता जैसे कोई स्पर्श कर रहा है दिन भर मैसेज पढ़ती रही कुछ अंदर ही अंदर कचोट रहा है ।पर कुछ मन ही नहीं लग रहा था कि कुछ लिखूँ सोने लगी तो पता नहीं कैसे विचारों के मंथन में लेखनी चल पड़ी ।All Rights Reserved