lockdown me jeevan
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Ongoing, First published Jul 01, 2020
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#12lockdown
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फैमिली by Sarita_Magazine
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मत जाओ मां सुबह स्कूल जाने के लिए शुभांगी तैयार हो रही थी कि टेलीफोन की घंटी घनघना उठी. मां का फोन था. बोलीं, ''अस्पताल से बोल रही हूं. तेरे बाबूजी सीढि़यों से फिसल गए हैं, कमर में चोट आ गई है.'' --------------- सूनी मांग का दर्द कितने बरसों बाद आज किसी ने उस के नाम की टेर दी थी. उस के हाथ आटे से सने हुए थे इसलिए वहीं से उस ने नौकरानी को आवाज दी, ''चम्पा, देख कौन आया है.'' --------------- मां, मां होती है कुसुम और प्रज्ञा के लिए मां जैसी भी थीं, उन की जिम्मेदारी थीं. बेशक यह जिम्मेदारी निभाते हुए उन का स्वयं का जीवन असहनीय बन गया. लेकिन मां का दर्द वे समझती थीं क्योंकि वे भी तो मां थीं. --------------- कहीं मेला कहीं अकेला तनु की सहेली रिया ने उस के दिलोदिमाग में ऐसी क्या बात भर दी थी कि वह संयुक्त परिवार में शादी ही नहीं करना चाहती थी. मगर शादी हो जाने के बाद तनु का नजरिया क्यों बदल गया. --------------- मां जिद कर के वह मीना और
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" तलाक़... तलाक़... तलाक़ " यह तीन शब्द जो किसी महिला का जीवन बदल दे वह अभी भी सिमरन के कानो में गूँज रहे थे। क्या इतना आसान होता है शादी के इस अटूट बंधन को तोड़ देना? फिर क्यों कहते है लोग की जोड़िया रब बनाता है या शादी सात जन्मों का खेल है, प्रेम धर्म या जाती नहीं देखता, प्रेम रंग रूप नहीं देखता, प्रेम दौलत नहीं देखता? डरी सहमी सिमरन सरफ़राज़ के कमरे में बिस्तर पर बैठी सरफ़राज़ का इंतज़ार कर रही थी. सरफ़राज़ क्यों? यहां तो उसकी जगह नहीं थी। उसके ख्वाबों का राजकुमार तो कोई और ही था। सिमरन का मन अभी धीरे धीरे अतीत की यादो में डूबा जा रहा था.... एक साल पहले: सिमरन ने अभी अभी कॉलेज में एडमिशन लिया था। सिमरन का रंग रूप साधारण से थोड़ा बेहतर था। अब तक वो गर्ल्स स्कूल में ही पढ़ी थी, पहली बार को-एजुकेशन में पढाई करने का मौका मिला। सिमरन की ज्यादातर दोस्त जो उसकी स्कूल की ही थी, ने यहाँ एडमिशन लिया था
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अनमोल उपहार शादी के एक साल बाद पति की मौत से सरस्वती समाज की नजरों में मनहूस बन गई. बेटे को भी मां का प्यार न दे सकी. पुत्रवधू को भी तो असामयिक मौत ही मिली पर उस ने ऐसा क्या किया जो सरस्वती को लोग सम्मानित नजरों से देखने लगे. ------------------------- स्वीकृति एक दिन परेशान हो कर विभू ने मां से गुजारिश की, 'अम्मां, काम वाली गई तो कम से कम घर के नौकरों में से किसी एक को कहो कि सब्जी कटवाने, आटा गूंधने में नीरा की मदद करे.' ------------------------ आभास शारदा ने कभी ससुराल में अपनी ननदों को अपना न समझा. हमेशा उन के और अपने बीच एक दूरी बनाए रखी. लेकिन आज वही ननदें उसे सगी बहन से भी ज्यादा अपनी लग रही थीं. आखिर क्यों? --------------------- माधवी माधवी की आंखों में रहरह कर सास का चेहरा घूमने लगा. उस ने अपनी सास के दोनों रूप देखे हैं. पहले हंस कर दिल से प्यार करने वाली मां का और फिर बिस्तर पर पड़ी एक असहाय बूढ़ी औरत का. ------------------- पतझड़
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Aniket and Nitya were married for 7 years, they had everything in their life except a child. Aniket's mother Kaushalya taunts and insults Nitya every time for not conceiving a child. Nitya's hearts break a million time hearing her mother-in-law's words but Aniket's younger brother Aarav pacify's her always and calls her "bhabhi Maa" to bring a smile to her face. When Kaushalya asks Aniket to do something unexpected Aarav decides to find a surrogate for his brother so that Nitya's life isn't ruined by his mother's orthodox thinking. To know more get inside the story....