6 parts Ongoing मत जाओ मां
सुबह स्कूल जाने के लिए शुभांगी तैयार हो रही थी कि टेलीफोन की घंटी घनघना उठी. मां का फोन था. बोलीं, ''अस्पताल से बोल रही हूं. तेरे बाबूजी सीढि़यों से फिसल गए हैं, कमर में चोट आ गई है.''
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सूनी मांग का दर्द
कितने बरसों बाद आज किसी ने उस के नाम की टेर दी थी. उस के हाथ आटे से सने हुए थे इसलिए वहीं से उस ने नौकरानी को आवाज दी, ''चम्पा, देख कौन आया है.''
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मां, मां होती है
कुसुम और प्रज्ञा के लिए मां जैसी भी थीं, उन की जिम्मेदारी थीं. बेशक यह जिम्मेदारी निभाते हुए उन का स्वयं का जीवन असहनीय बन गया. लेकिन मां का दर्द वे समझती थीं क्योंकि वे भी तो मां थीं.
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कहीं मेला कहीं अकेला
तनु की सहेली रिया ने उस के दिलोदिमाग में ऐसी क्या बात भर दी थी कि वह संयुक्त परिवार में शादी ही नहीं करना चाहती थी. मगर शादी हो जाने के बाद तनु का नजरिया क्यों बदल गया.
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मां
जिद कर के वह मीना और