Story cover for उत्तर प्रदेश : शहर, गांव और १०० रूपए by MauryaPankaj
उत्तर प्रदेश : शहर, गांव और १०० रूपए
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Ongoing, First published Sep 05, 2020
आज हम शहरों में चाहे जितने बड़े बन जाएं, जितना चाहे धन एकत्रित कर लें, परंतु वृद्धावस्था मैं जिस आसीम शांति की हमें आवश्यकता होगी वह हमें केवल कच्ची सड़कों, आम के बागों, नहरों-तालाबों, गाय बैलों और खेतों के पास बने कच्चे घर में ही प्राप्त हो सकती है।
किसी ने सही कहा है, "मां और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर हैं।"
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भाभी की शरारत

2 parts Complete

भाभी और देवर के बीच शरारत तो चलती रहती है। मगर मेरी भाभी तो एक कदम आगे निकली और उनकी वजह से मुझे दो दिन एक स्त्री बनकर रहना पड़ा और घर के सारे काम भी करने पड़े, और घर के सारे लोगों ने उनका साथ दिया। तो आखिर उन्होंने ये कैसे किया कि मेरी माँ भी इसमे उनकी सहभागी बन गई। जानने के लिए ये कहानी अवश्य पढे। लेखिका: विजया भारती