आज हम शहरों में चाहे जितने बड़े बन जाएं, जितना चाहे धन एकत्रित कर लें, परंतु वृद्धावस्था मैं जिस आसीम शांति की हमें आवश्यकता होगी वह हमें केवल कच्ची सड़कों, आम के बागों, नहरों-तालाबों, गाय बैलों और खेतों के पास बने कच्चे घर में ही प्राप्त हो सकती है। किसी ने सही कहा है, "मां और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर हैं।"All Rights Reserved