इस किताब में कुछ अल्फ़ाज़ हैं जो बहते बहते अपनी रवानी में आ कर हर उस कोने को छूते हुए निकलेंगे जो समय की धूप से शायद कहीं सूख रहे हैं। इनको कविता और शायरी में ढालते वक़्त लेडी जिब्रान की सिर्फ एक ही कोशिश रही है कि इसका हर एक लफ्ज़ आपको अपना लगे। पेश है उनके अल्फ़ाज़ की रवानी..All Rights Reserved