मानस मंजरी एक प्रेम कहानी। कितनी नई,कितनी पुरानी लगता था जन्मों से थे,एक दूसरे के साथी। प्यार था दोनों में इतना,कि हर जन्म में उनके प्रेम की कथाएं कहीं जाती।हर प्रेम संबंध में उनके नाम पर कसमें ली जाती।दोनों ने जादुई दुनिया के दांव-पेंच भी देखे थे। न जाने कितने तिलिस्म भी तोड़े थे। बस उनके पास एक ही ताकत थी और वह थी,उनके प्यार की। एक दूजे का सहारा थे।जमाने की नजर में दोनों ही बेसहारा थे। हर जन्म में एक दूसरे पर मर मिटने को तैयार। ऐसा था उन दोनों का प्यार। हैरान था हर कोई,प्यार की इस नजीर पर मानस इस कहानी का एक पुरुष पात्र है।घुड़सवारी, तीरंदाजी,युद्ध कला में पारंगत। प्रेम और करुणा जैसे सकारात्मक भावों से युक्त एक नवयुवक और मंजरी एक अत्यंत सुंदर नवयुवती,बहादुर, पराक्रमी और मानस की कई जन्मों से प्रेयसी।उनका यह प्रेम संबंध हमेशा प्रियतम और प्रियतमा तक ही सीमित रहा।
ये कहानी अबिरा और जय की जो खुश थे अपनी शादी शुदा जिन्दगी मे लेकिन जय दे रहा था अबिरा को धोका किसी और के साथ मिलकर तो जानने के लिए की क्या होगा जब अबिरा को पता चलेगा सच बने रहे मेरे साथ इस कहानी मे