रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में ना जाने कितनी ही बार हमारा मोहिनी से आमना सामना होता है। कभी हम उसे मीना कह देते हैं, कभी स्वाति, तो कभी पल्लवी लेकिन इन सभी मोहिनी की पहचान लगभग एक ही होती है। होंठो पर हंसी की चादर से आंखों में बैठी उदासी को छुपाने का लंबा तजुर्बा। क्या हो जब आपके अपने समाज में रहने वाली आदर्श नारी की प्रतिमा, मोहि नी उन्हीं आदर्शों से बगावत कर दे? क्या आप उस शोर से कान बंद कर लेंगे या उसका साथ देंगे ?All Rights Reserved