Story cover for कालधुंध by Gadadhar141
कालधुंध
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Ongoing, First published Feb 20, 2021
जैसे-जैसे वो आग की तरफ़ बढ़ रहे थे मैं अच्छी तरफ़ से उनको देख पा रहा था, दोनों के चेहरे ढके हुए थे। उस लंबे आदमी को देखकर मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई, उसके चेहरे और बदन पर खून लगा हुआ था जो शायद बैंच पर पड़े आदमी की हत्या करने पर लगा था, खून उसके बाँए हाथ में पकड़ी गुप्ती से रिस रहा था। उसने दाँए हाथ में भी कुछ पकड़ा हुआ था जिसमें से भी काफ़ी खून टपक रहा था, उसने दाँए हाथ में पकड़ी उस खून से लथपथ चीज को आग के सामने पटक दिया, वो चीज़ जमीन पर तीन बार लुढ़की और इस तरह रुकी कि आग की रोशनी उसपर सीधे पड़ रही थी। उसे देखते ही मेरी चीख निकलते-निकलते रह गई, वो बैंच में सोए आदमी का कटा सिर था,
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