
#thirdquote नारी आधुनिकता के इस उजाले में, कुछ अंधेरा बाकी है, कुछ बंधन टूट गए, कुछ तोड़ने बाकी है। परिवर्तन के इस दौर में, अभी भी पुरुषत्व का भेष है, कुछ शिकवे भूल गए, कुछ भुलाने शेष है। लड़की हाथ की कठपुतली है, ये तुम्हारा वहम है, मानवता का शत्रु , ये पुरुष का अहम है। आखिर कब तक नवजात, यूं सड़क पर तड़पकर मरेगी। कब औरत की सुरक्षा, आदमी की नीयत तय करेंगी। जब बेटियां बेड़ियां तोड़कर निकलती है, तो इतिहास में, कल्पना चावला कहलाती हैं। जब नारी तलवार उठाती है, तो रानी लक्ष्मीबाई कहलाती हैं। परिवार में बहन, बेटी, पत्नी को तुच्छ मानते हो, और मां को पूजकर खुद को महान समजते हो। क्यों केवल मां के रूप में उसको पूजते हो, क्यों उसके पीछे बलिदानी स्त्री को भूल जाते हों। मां तो वो तुम पैदा हुए इसलिए कहलाई, क्या वो पूजनीय तुम्हारे कारण बनपाई। हों रुद्रमा या सावित्री बाई, हर चुनौती पर वो भारी थीं, कAll Rights Reserved
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