बस घर में घुसकर जल्दी से नहाया, रात का खाना बनाया, दोनों बच्चों को खिला कर सोने भेज दिया उनके कमरे में। और आज तो दोनों का होमवर्क भी नहीं देखा और ना ही पूछा। दोनों बच्चे हैं भी काफी समझदार अपना काम खुद ही कर लेते है। जल्दी ही सारे काम निबटा कर अपने बिस्तर पर जाकर पति के आने का इंतजार करने लगी। काफी नींद चढ़ी हुई थी, लग रहा था जैसे आज काफी सालों बाद वो आराम से सोएगी। सारा शरीर टूट रहा था। अकेली लेटकर सोच रही थी, ये क्या है जो वो आज करके आई है। पूरा दिन किसी दूसरे आदमी के साथ। उसने कभी नहीं सोचा था कि अपने पति को धोका देगी। .....ये क्या एहसास है जो उसको अनुटोष की ओर खीच रहा है। सारा दिन एक कमरे में अनुतोश के साथ, क्या उसे एक बार भी अपने पति पृथ्वी का ख्याल नहीं आया। आया तो था, पर जैसे ही अनुटोष ने उसके होठों पर अपना होठ रखा, वो उसमें घुलती ही चली गई, जैसे किसी ने बर्फ को तपती ज़मीन परAll Rights Reserved
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