कर वो फिर से घोष अंकल की ओर मुड़ी । पर अब उनका नामो निशान कही नजर नही आ रहा था। "अरे घोष अंकल कहां चले गए!? " विस्मित सी भैरवी बोली। उसकी बातें सुनकर सुनीता उसके पास आ गई बोली, " क्या कह रही हो तुम ! घोष अंकल कहां से दिख गए तुम्हे वो भी लिफ्ट में ! क्या तुम्हे नही पता ! आज दोपहर बारह बजे , पता नही क्यों वो लिफ्ट में जा रहे थे और उनके चालू करते ही लिफ्ट का तार पता नही कैसे कट गया जिसमे उनकी मौत हो गई। आज सुबह से ही इस सब में ही व्यस्त थी तुम्हे फोन कर बता भी नही पाई।
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