यह कविताएं सामाजिक परिपाटी पर कटाक ्ष हैं | इन कविताओं के द्वारा एक बेरोजगार व्यक्ति की पीड़ा का वर्णन किया गया है कि किस तरह उसे समाज व परिवार से भी किस तरह की भावनात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | यह कविता मैंने एक 18 साल की युवती के रूप में जो कुछ भी समाज में देखा है उसका चित्रण करने का प्रयास किया है | आशा है कि आप सभी को यह कविता पसंद आएगी | कवयित्री , कुमारी उभयमुखी |All Rights Reserved
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