ज्योति जुनेजा द्वारा रचित 'वृन्दावनेश्वरी राधा' एक अद्भुत काव्य संग्रह है जो प्रेम के पवित्र और दिव्य स्वरूप को व्यक्त करता है। इस काव्य संग्रह पुस्तक में लेखिका ने 21 कविताओं के माध्यम से प्रेम की परिभाषा, एक अलग नज़रिया, भावनाओं की गहराई, हरि भक्ति, रास लीला तथा अन्य भाव प्रस्तुत किए है। इसके अतिरिक्त लेखिका ने राधा, गोपीजन और मीरा के अमर प्रेम और अद्वितीयता को दर्शाने का प्रयास किया है।
'वृन्दावनेश्वरी राधा' पुस्तिका भक्ति की गहराई में डूबने के लिए एक अद्वितीय साहित्यिक अनुभव है, जो एक प्रेमी भक्त के हृदय की व्यथा बयान करती है। यह पुस्तक पाठकों को राधा और गोपीजन के प्रेम के विशुद्ध और अनुपम स्वरूप का भी अनुभव कराती है। इसकी कुछ कविताओं के भागों में पाठकों को भिन्न-भिन्न कृष्ण लीलाओं का भी दर्शन होता है। यह पुस्तक हमें अनन्य भक्ति और निष्काम प्रेमारूपिणी भक