Pitra Dosh Nivaran Pooja in Gokarna
  • Reads 1
  • Votes 0
  • Parts 1
  • Reads 1
  • Votes 0
  • Parts 1
Complete, First published Jun 23, 2023
Mature
When a person's deceased ancestors have not attained Moksha or Salvation due to lack of religious rituals immediately after their death. Dosha, sometimes referred to as Pitra Dosha, can be observed in a person's horoscope.

Pitru Dosh Pooja: Manes are known as Pitra in Hindi. Pitra are those people who died unnatural death and did not get salvation. Due to this, people perform remedies for the pacification of Pitra Dosha.

Pitra Dosha in a horoscope indicates that a person has not done enough for his ancestors or that they remain dissatisfied with him for some reason. Pitra Dosha can also result when a family member dies an unnatural death or if someone has not offered his respects to the souls of deceased loved ones.

We at Sadhgati help you perform Pitra Dosh Nivaran Pooja in Gokarna in the right manner. 

To perform the Pitru Dosh Nivaran Pooja you can contact Acharya Ved. Varadeshwar Ganesh Bhat Hiregange. 

We also perform other Pooja Services like:

Kaal Sarpa Dosh Nivarana Pooja
Rudra Abhishek 
Rudraswahakar 
Ark Vivaha (Male) 
Navagraha Shanti 
Satchandi Pooja 
Navchandi Pooja 
Kumbh Vivah (Female) 
Tripindi pooja 
Sudarshana Shanti 
Theertha Shraddha 
KshetraVidhi 

For details and booking, Please contact us on 9480156412
All Rights Reserved
Sign up to add Pitra Dosh Nivaran Pooja in Gokarna to your library and receive updates
or
Content Guidelines
You may also like
रामायण के अनसुने रहस्य by Hindire
1 part Complete
जिनके बारे मैं शायद आप नही जानते हो, रामायण को ऋषि वाल्मीकी द्वारा लिखा गया था।जिसमें उन्होंने ने मूल रूप से भगवान राम ओर सीता के जन्म से लेके मृत्यु तक की सभी बातों का उल्लेख किया गया है। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे, राजा दशरथ को चार पुत्र थे जिनका नाम राम, भरत, लक्ष्मण ओर शत्रुघन थे और सीता माता मिथिला नरेश जनक की पुत्री थी ऐसा माना जाता है के राजा जनक को कोई संतान नही थे एक ऋषि के कहने पे अपने नगर मैं पड़े सूखे के अकाल को ख़त्म करने के लिए यग़ किया ओर यग के बाद उन्होंने राजा को हल जोतने के लिए कहा और हल जोतने के समय उन्हें वहाँ पे सोने की टोकरी से मिटी मैं लिपटी हुए एक सुन्दर कन्या मिली जिसे हाथों मैं लेते हे उन्हें पिता होने के ऐहसास हुआ। राजा ने उस कन्या को अपना लिया ओर सीता नाम दिया जिन्हें हम माता सीता के नाम से जानते है।
कृष्णसखी की कहानियां by RadhikaKrishnasakhi
10 parts Ongoing
आपके प्यारे श्याम जु से जुड़ी कहानियों की दुनियां में प्रवेश करने के लिए सज्य हो जाईए... इस किताब में अनेक लघुकथाएँ एवं कविताएँ है लाल जु को ध्यान में रखकर लिखी गयी है... जो लेखक की कल्पनाओं द्वारा बुनी गयी है जिसका वास्तविकता से कोई सम्बंध नही है !! कहानियों की सूची - 1) माई - ( कहानी एक ऐसी महिला की जो कृष्ण के लिए ममता का भाव रखती है... कैसे वो एक माँ को उसके प्रेम का हक दिंगे... ) 2) श्री राधे - (कैसे मिली वृंदावन में श्री राधे से कृष्ण को ढूंढते हुए...) 3) राधेश्याम की अनसुनी कहानी 4)एक मुलाकात श्याम संग ...- (कृष्ण से अनोखी मुलाकात का आभास।।।) 5) आँख मिचौली - (कृष्ण प्रेम समझने का मौका... कृष्ण प्रेमी द्वारा...) 6)प्रेम को देखा है ? 7)कृष्ण की सखी - (एक कृष्णसखी की छोटी सी कहानी) 8) 9) 10) ●राधिका कृष्णसखी
You may also like
Slide 1 of 10
रामायण के अनसुने रहस्य cover
जादूगर का आखिरी जादू cover
Giridhar cover
दोस्ती पर ग्रहण cover
Peer - E - Kamil cover
Me alag hoon sab se cover
प्रेममयी गीता cover
आत्मा, प�रमात्मा व मोक्ष cover
कृष्णसखी की कहानियां cover
Devotional Page cover

रामायण के अनसुने रहस्य

1 part Complete

जिनके बारे मैं शायद आप नही जानते हो, रामायण को ऋषि वाल्मीकी द्वारा लिखा गया था।जिसमें उन्होंने ने मूल रूप से भगवान राम ओर सीता के जन्म से लेके मृत्यु तक की सभी बातों का उल्लेख किया गया है। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे, राजा दशरथ को चार पुत्र थे जिनका नाम राम, भरत, लक्ष्मण ओर शत्रुघन थे और सीता माता मिथिला नरेश जनक की पुत्री थी ऐसा माना जाता है के राजा जनक को कोई संतान नही थे एक ऋषि के कहने पे अपने नगर मैं पड़े सूखे के अकाल को ख़त्म करने के लिए यग़ किया ओर यग के बाद उन्होंने राजा को हल जोतने के लिए कहा और हल जोतने के समय उन्हें वहाँ पे सोने की टोकरी से मिटी मैं लिपटी हुए एक सुन्दर कन्या मिली जिसे हाथों मैं लेते हे उन्हें पिता होने के ऐहसास हुआ। राजा ने उस कन्या को अपना लिया ओर सीता नाम दिया जिन्हें हम माता सीता के नाम से जानते है।