बारिश , थोड़ी वार्तालाप , और तुम्हारे साथ चाय थोड़े किस्से, थोड़ी यादें , और एक एक्टिवा पर हम साथ भीग जाने की वो बातें | ना तुम कुछ कह रही हो और हम भी तो मौन हैं सफर पर चल रहे , टेडे मेडे रास्ते शीशे में देखा खुद को और सवाल मुझसे की ये कौन हैं ? हमने कहां तुम्हारी दूसरी छवि जो हमारे साथ हैं दूर छोड़ आई उसको जो न जाने किसी दूसरे के पास हैं | आखों में आसूं देख कर उसके , हमसे रहा नहीं गया करीब गए उसके लेकिन हमसे कुछ कहा नहीं गया | उलझी हुई वो हमारे सामने और हमे भी उलझना पड़ा क्योंकि कल्पनाओं में ही सही हमारे लिए सिर्फ वहीं तो खास हैं | -प्रियांशु आमेटाAll Rights Reserved
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