दायरा; हिंदी उपन्यास
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Ongoing, First published Mar 27, 2024
Mature
ये उपन्यास कुछ ऐसे युवाओं के संघर्ष और आकांक्षाओं पर आधारित है जो समाज और सामाजिक कुरीतिओं से परे सामजिक समरसता का ख्वाब देखते हैं। 
हमारा जीवन ये समाज एक दायरे में बंधा है ,अमीरी -गरीबी,जाती,वर्ग,समुदाय, मजहब जैसे कई ऐसे दायरे हैं जो तैं मानक पर आधारित है।
 किंतु इस कहानी में नायक के मन में उठने वाले भाव, तरंगे, प्रेम की लहरे इस समाज रूपी दायरे, बंधन से परे है जहाँ बोध है मनुष्यता, नैतिकता, समानता , न्याय जिसके लिए वे समाज से संघर्ष करते हैं। 
 क्या उनके सपने पूरे हुए ? क्या वो इस दायरे को तोड़कर आगे बढ़ पाए ?  क्या उनकी मंजिल मिल पाई ? इन सब सवालों के जबाब आपको इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही मिल पायेगा। 
निः सन्देह आप को ये कहानी अंदर से विचारों की एक नई पराकाष्ठा पे ले जाने वाली है, जहाँ प्यार है, तकरार है, रहस्य है, अपराध है, नाटक है, हास्य है, आंख में आंशूं भर देने वाली चिर करुण वेद
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