और मैं एक दिन किचन में काम कर रही थी घर में कोई भी नहीं था ! सेल्फ के ऊपर फोन रखा हुआ था जिसमें रोमांटिक गाने बज रहे थे और मैं मस्ती में मस्त मुझे पीछे से किसी के आने की आहट सी हुई ! जैसे ही मैं राजवीर को देखा मेरा तो पूरा मुंह शर्म से लाल हो गया किस टाइम राजवीर के आने की तो उम्मीद ही नहीं थी मेरी धड़कन इस कदर बढ़ गई की मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया मैं कुछ कहती उससे पहले ही राजवीर ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में ले लिया मैं तो जैसे यह संगम कई दिनों से चाहती थी जैसे मेरी मन की मुराद पूरी हो गई ! राजवीर के दोनों हाथ मेरे पेट पर कसे हुए थे और राजवीर कि सांसों का प्रवाह मेरे कानों के ऊपर पढ़ रहा था मेरे पूरे शरीर में जैसे बिजली का करंट सा दौड़ गया हो मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजवीर ने अपनी गीली जीभ से मेरे कान के झुमको को सहलाना शुरू किया ! मेरी आंखें अपने आप ही बंद हो गई मेरी कAll Rights Reserved
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