ख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो,
या कश्ती से मंज़िल को पार लगाना
गुलिस्तां ऐ लेख हैं दास्तां कुछ ऐसी
जहाँ दिल का ना हो कर भी,
दिल लगाना हो।
A short collection of heart to heart shayaris and poetries.
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ख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो,
या कश्ती से मंज़िल को पार लगाना
गुलिस्तां ऐ लेख हैं दास्तां कुछ ऐसी
जहाँ दिल का ना हो कर भी,
दिल लगाना हो।
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