औरत एक ऐसी पहेली है! जिसे आज तक ऊपर वाला भी समझ नहीं पाया है! तो इंसान क्या चीज है! कभी-कभी तो लगता है कि औरत भी कहा समझ पाई है खुद को! सुबह आंख खुली तो सर जोर से भन्ना रहा था! मधु अभी बिस्तर पर ही पड़ी हुई थी और अपने आप को निहार रही थी !! हथेली की उंगलियों को हवा में लहराते हुए ऊपर की तरफ जोड़ते हुए एक जोर की अंगड़ाई ली! अंगड़ाई लेते लेते चोली के खुले हुए हुको की तरफ ध्यान गया! शायद रात में जज्बातों का तूफान इतना ज्यादा था कि मधु ऐसे ही सो गई! चोली से निकलते हुए सूरज की किरणों से उज्जवल उरोजो पर ध्यान गया! तो एक पल के लिए खुद पर ही प्यार आ गया और मधु मंद मंद मुस्कुराने लगी! सब कुछ भूल कर ना जाने क्यों अपने हथेलियों से अपने उरोजो को प्यार से सहलाने लगी! मखमली उरोजो पर वह औस् की बूंद की तरह उभरे हुए 2 मनके जैसे मानो किसी के होंठों का स्पर्श पाने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे हो ! यह सोचनेAll Rights Reserved