कभी-कभी रातों के सन्नाटे में चौंक कर उठ जाता हूँ सोचता हुआ कि कह ीं यह सन्नाटा किसी ऐसी चीज़ के टूटने का तो नहीं जिसे हम हड़बड़ी में बहुत पीछे छोड़ आए हों!All Rights Reserved
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