1 part Ongoing साल के शुरूआत मे जागी थी इक अास
सन्21 में हो चुका कोरोना का नाश
तभी तो कर रहे थे पार्टियाँ बिना पहने मास्क
जीत की जश्न ,चुनाव का बेधड़क प्रचार
मॉल में बढ़ती भीड़ ,कुंभ के मेले का मिलन
सब कुछ अच्छा लग रहा था
हर कोई खुलकर हंस रहा था
शायद !!!
कोरोना की चेतावनी भूल गया था
अभी तो कोरोना का तांडव बाक़ी था
किसी राक्षस सा चुपचाप नहीं आया था
वो बार बार सबको समझा रहा था
दवाई ,सफ़ाई और मॉस्क है ज़रूरी
भीड़भाड़ नहीं ,रखो दो गज की दूरी
तभी तो दनदनाता वो आया
कोई परमाणु बम छोड़े बिना
लाशों के ढेर लगाता चला गया
पूरा परिवार, पूरा गाँव ,पूरा शहर
पूरा देश ,पूरा का पूरा संसार!!!
मसानों में शमशानों में बदल गया
हर कोई डरा-डरा,हर कोईसहमा-सहमा
जीवित रहेंगे तभी तो घूमेंगे बाहर निकलेंगे
मॉल भी जायेंगे कुंभ भी नहायेंगे
कुछ लम्हों की मौज-मस्ती के लिये
खुद को स्वामिभक्त दिखाने के लिये
चल देते हैं आँखे