ACP.Pradyuman: aye eak kahani sunata hu सीआईडी की यह कहानी, रिश्तों की भी थी एक निशानी, ड्यूटी के बीच मोहब्बत का खेल, हर लम्हा जैसे एक झूला झूलानी। प्यार था छुपा, पर छुपा न सका, न कंगन, न रिंग, न वो लम्हा भुला सका। हर केस में खट्टी-मीठी तकरार, फिर भी दिलों में था छुपा इक करार। डॉक्टर की रिपोर्ट, एक नई सच्चाई लाई, जहां डर था, वहीं उम्मीद भी समाई। रिश्ते में थी उलझन, पर बढ़ा विश्वास, दोनों के दिलों में था अजब-सा एहसास। श्रेया की वापसी से बढ़ा तूफान, पर जयवंती ने दिखाया अपने रिश्ते का मान। हर दर्द को सहा, हर चुनौती से लड़ी, अपने प्यार की खातिर हर हद तक बढ़ी। फिर शादी की रात ने लिखी नई दास्तान, जहां हंसी, आंसू और प्यार की पहचान। पर ब्यूरो में चलता रहा एक खेल, जहां मज़ाक और केस में रहे दिल के मेल। और जब सच्चाई बनी न छुपाने की चीज़, रिश्तों में आया था एक नया मिज़ाज। जहां लड़ाई और नाराजगी का भी था मज़ा, मगर प्य
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