भाभी और देवर के बीच शरारत तो चलती रहती है। मगर मेरी भाभी तो एक कदम आगे निकली और उनकी वज ह से मुझे दो दिन एक स्त्री बनकर रहना पड़ा और घर के सारे काम भी करने पड़े, और घर के सारे लोगों ने उनका साथ दिया। तो आखिर उन्होंने ये कैसे किया कि मेरी माँ भी इसमे उनकी सहभागी बन गई। जानने के लिए ये कहानी अवश्य पढे।
लेखिका: विजया भारती